कांग्रेस ने केंद्र से अड़ियल रवैया छोड़ कृषि कानूनों को वापस लेने को कहा, किसानों की मौत पर सरकार को घेरा
farmers blocked the lucknow-delhi highway jammed for four hours in shahjahanpur

कांग्रेस ने शनिवार को सरकार पर किसानों के प्रति निष्ठुर होने का आरोप लगाया और कहा कि उसे अपना अड़ियल रवैया छोड़कर तीनों काले कानूनों को वापस लेना चाहिए। पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने ट्वीट कर कहा, 'सर्द मौसम में दिल्ली बॉर्डर पर बैठे किसान भाइयों की मौत की खबरें विचलित करने वाली हैं। मीडिया में आई खबरों के मुताबिक, अभी तक 57 किसानों की जान जा चुकी है और सैकड़ों बीमार हैं। महीने भर से अपनी जायज मांगों के लिए बैठे किसानों की बातें न मानकर सरकार घोर असंवेदनशीलता का परिचय दे रही है।'

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने कहा, 'सरकार को चाहिए कि वह कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए सहमत हो और उसे निरस्त करे। किसी भी नए कानून में किसान समुदाय की जरूरतों और इच्छाओं को ध्यान में रखा जाना चाहिए।' पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा, 'करनाल (हरियाणा) से संत बाबा राम सिंह व फाजिल्का (पंजाब) से अमरजीत सिंह के बाद बिलासपुर (उत्तराखंड) के किसान कश्मीर सिंह द्वारा किसान आंदोलन में प्राणों की आहुति के समाचार से मन बेहद व्यथित है।' उन्होंने कहा, 'निष्ठुर सरकार को अपना अड़ियल रवैया छोड़ते हुए 3 काले कानूनों को तुरंत वापस लेना चाहिए।'

मांगें नहीं मानी गईं, तो 26 जनवरी को दिल्ली की तरफ ट्रैक्टर परेड निकालेंगे
इस बीच, सरकार के साथ अगले दौर की वार्ता से पहले 'अल्टीमेटम' जारी करते हुए प्रदर्शनकारी किसान संगठनों ने शनिवार को कहा कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो 26 जनवरी को जब देश गणतंत्र दिवस मना रहा होगा, तब दिल्ली की ओर ट्रैक्टर परेड निकाली जाएगी। नई दिल्ली में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए किसान संगठनों के नेताओं ने कहा कि अब 'निर्णायक कार्रवाई' की घड़ी आ गई है क्योंकि सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी देने की उनकी मांगों पर अब तक ध्यान नहीं दिया है।

सरकार और प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के बीच अगले दौर की वार्ता चार जनवरी को प्रस्तावित है। संगठनों ने शुक्रवार को कहा था कि अगर बैठक में गतिरोध दूर नहीं हो पाता तो उन्हें सख्त कदम उठाना होगा। गौरतलब है कि पंजाब, हरियाणा और देश के विभिन्न हिस्सों से आए किसान केन्द्र के तीन नए कृषि कानूनों को रद्द किए जाने की मांग को लेकर पिछले लगभग एक महीने से राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं।

क्या है मामला
कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर सरकार ने सितंबर में तीनों कृषि कानूनों को लागू किया था। सरकार ने कहा था कि इन कानूनों के बाद बिचौलिए की भूमिका खत्म हो जाएगी और किसानों को देश में कहीं पर भी अपने उत्पाद को बेचने की अनुमति होगी। वहीं, किसान तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं। प्रदर्शन कर रहे किसानों का दावा है कि ये कानून उद्योग जगत को फायदा पहुंचाने के लिए लाए गए हैं और इनसे मंडी और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था खत्म हो जाएगी।