सीबीआई कोर्ट से धोखाधड़ी के आरोपी पंप मालिक को 3 साल की सज़ा

गाजियाबाद। सीबीआई की विशेष अदालत ने आगरा के एक पेट्रोल पंप मालिक को लाइसेंस रद्द होने के बावजूद साजिश और धोखाधड़ी से पंप चलाने के मामले में तीन साल की सजा सुनाई है। जमानत पर बाहर पंप प्रबंधक के अदालत में हाजिर नहीं होने पर उसके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया है। पंप मालिक पर लाइसेंस निरस्त करने के बावजूद साल भर तक पंप चलाने, सरकारी विभाग समेत करीब 36 हजार लीटर तेल अवैध रुप से बेचने का आरोप सिद्ध हुआ।

मामला आगरा के गांधी नगर बाजार क्षेत्र का है। यहां पंप कारोबारी करणवीर सिंह ने इंडियन ऑयल का पेट्रोल पंप है। इसमें मनोज गोयल प्रबंधक था। पंप में मिलावटी ओर खराब गुणवता वाले तेल बेचने का मामला वर्ष 2006 सामने आया। सीबीआई के विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट शिवांक सिंह की अदालत में सोमवार को इस मामले में अंतिम सुनवाई हुई। अदालत ने सजा के दिन जमानत पर बाहर आरोपी पंप प्रबंधक मनोज गोयल की फाइल अलग कर उसके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करने के आदेश दिए। जबकि दूसरे अभियुक्त पंप मालिक करणवीर सिंह को तीन साल की सजा और 12 हजार रुपये अर्थदंड सुनाया गया। सहायक लोक अभियोजक रिपुदमन सिंह तंवर ने अदालत में मामले की पैरवी की। अदालत के मुताबिक मिलावटी पेट्रोल-डीजल मिलने की शिकायत वर्ष 2006 में इंडियन ऑयल कारपोरेशन ने उक्त पंप का लाइसेंस रद्द कर दिया था। इसके बावजूद पंप पर मिलावटी तेल बिकने की शिकायत पर इंडियन ऑयल कंपनी ने सीबीआई की टीम के साथ करणवीर के पेट्रोल पंप पर छापे मारे। सीबीआई ने प्लानिंग करके अपने एक ग्राहक भेजकर पंप से पेट्रोल भरवाया और खरीदारी की पर्ची ले ली। उसी दिन पेट्रोल के नमूने भी लिए गए।

नमूने फेल होने पर मिलावटी तेल भेजने की पुष्टि होने पर सीबीआई ने छानबीन शुरु की। तो मालिक-प्रबंधक के सांठगांठ से बिना लाइसेंस के साल भर में करीब 36 हजार लीटर तेल बेचेने की पुष्टि हुई। विवेचना में यह भी पता चला कि उक्त पंप से उप्र जल निगम समेत कुछ और विभागों को भी अवैध रुप से तेल बेचे गए। सीबीआई ने वर्ष 2007 में मालिक करणवीर और मालिक मनोज गोयल के खिलाफ षडयंत्र और धोखाधड़ी के साथ आवश्यक वस्तु अधिनियम की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया। वर्ष 2009 में दोनों आरोपियों के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र पेश किया। इसके दो वर्ष बाद दोनों आरोपियों पर आरोप तय हुए।