यूपी के मुख्य सचिव का फेसबुक एकाउंट हैक, तीन गिरफ्तार

ठगों और हैकर्स के हौसले इतने बुलंद हो चुके हैं कि अब सूबे के सबसे बड़े अफसर के सोशल मीडिया एकाउंट को ही हैक कर लिया। उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव की फर्जी फेसबुक आईडी बनाकर उनकी फ्रेंडलिस्ट में शामिल लोगों को इमरजेंसी बताकर पैसे की डिमांड कर डाली। हैकर्स की करतूत का पता चलते ही यूपी साइबर क्राइम पुलिस और एसटीएफ ने मथुरा के गांव मड़ौरा में छापा मारकर साइबर क्रिमिनलों के गैंग को दबोच लिया। एसटीएफ द्वारा गिरफ्तार साइबर अपराधियों में दो शातिर क्रिमिनल और एक नाबालिग शामिल है। पूछताछ में फेसबुक आईडी हैक करके लोगों को ठगने के कई मामलों का खुलासा हुआ है।पुलिस से प्राप्त जानकारी के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव राजेंद्र तिवारी के फेसबुक प्रोफाइल को साइबर क्रिमिनल्स ने सितंबर में हैक कर लिया। उनकी फर्जी आईडी बनाकर फ्रेंडलिस्ट में शामिल लोगों से फेसबुक मैसेंजर के जरिये धनराशि मांगने लगे। कुछ लोगों ने आशंका होने पर जब मामले की पुष्टि की तो एकाउंट हैक होने के बारे में पता चला। मामले की गंभीरता को समझते हुए प्रकरण की जांच एसटीएफ और साइबर टीम को सौंपी गई। इधर, लखनऊ के साइबर थाने में इस मामले में मुकदमा भी दर्ज करा दिया गया। गत दिवस एसटीएफ एवं सर्विलांस टीम मथुरा पहुंची। गोवर्धन पुलिस के साथ गांव मडोरा में छापेमारी करके दो युवकों को गिरफ्तार कर लिया। साथ में एक किशोर अपचारी भी पकड़ा गया। पूछताछ में उन्होंने अपने नाम शराफत खान, सुखदीन खान बताए। एसटीएफ तीनों को अपने साथ लखनऊ ले गई। इनके पास से दो मोबाइल भी बरामद किए गए।


डॉ. गौरव ग्रोवर, एसएसपी ने बताया कि तीन शातिर पकड़े जाने के बाद इनके नेटवर्क, गिरोह के अन्य सदस्यों के साथ ही साइबर अपराध करने वालों के नेटवर्क को खंगालने के लिए कई टीमें लगा दी गई हैं। पकड़े गए शातिरों के माध्यम से अन्य शातिरों की तलाश की जा रही है। सर्विलांस, स्वाट और थाना पुलिस को जिम्मेदारी सौंपी गई है। आधा दर्जन शातिर चिह्नित कर लिए गए हैं। इनका नेटवर्क शीघ्र ध्वस्त किया जाएगा।


देवसेरस-मडौरा में बनायी आईडी
एसटीएफ और साइबर टीम को जांच में पता चला कि फर्जी फेसबुक आईडी जनपद मथुरा के गोवर्धन थाना क्षेत्र के गांव मडौरा और देवसेरस से बनायी गयी थी। इसके बाद एसटीएफ टीम ने स्थानीय पुलिस को साथ लेकर साइबर अपराधियों की तलाश में इन गांवों में छापा मारा। तीन अपराधियों को दबोचने के बाद पता चला कि फेसबुक पर फर्जी प्रोफाइल या आईडी हैक करने वाले गिरोह का मास्टरमाइंड शराफत उर्फ काला है।


अपराधियों के निशाने पर पब्लिक अकाउंट
पुलिस को शराफत ने बताया कि गैंग के निशाने पर ऐसे लोग होते थे जिनका फेसबुक अकाउंट पब्लिक के लिए ओपन रहता है। इससे उस व्यक्ति के प्रोफाइल को आसानी से देखा जा सकता है। उसकी फ्रेंडलिस्ट में किस तरह के लोग शामिल हैं, यह पता चल जाता है। अगर उसकी फ्रेंडलिस्ट में हाईप्रोफाइल लोग हैं और पैसे देने में समर्थ हैं तो उस सोशल मीडिया एकाउंट को हैक करने पर काम शुरू कर दिया जाता था।


ऑनलाइन धन भेजने की करते थे डिमांड
उस व्यक्ति के फेसबुक प्रोफाइल की फोटो को कॉपी करके उसी फोटो के जरिए फर्जी फेसबुक अकाउंट बनाया जाता है। इसके बाद उसकी फ्रेंडलिस्ट में शामिल लोगों को नई फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज देते थे। रिक्वेस्ट स्वीकार होते ही कभी इमरजेंसी तो कभी अस्पताल में भर्ती होने का बहाना बताकर तत्काल धनराशि देने की मांग कर दी जाती थी। गूगल-पे, यूपीआई व ऑनलाइन बैंकिंग के जरिये पैसों का लेनदेन किया जाता था।


मिलते-जुलते पासवर्ड से काम आसान  
सोशल मीडिया अकाउंट हैक करने वाले अपराधियों ने बताया कि साइबर अपराध की दुनिया का मास्टरमाइंड साबिर है। वही नये-नये युवकों को साइबर अपराध की ट्रेनिंग देता है। उसने बताया था कि भारत में बहुत से लोग फेसबुक की आईडी और पासवर्ड एक समान ही रखते हैं। अन्यथा 12345…जैसे मिलते-जुलते पासवर्ड बनाते हैं। इसलिए गैंग से जुड़े लोग फेसबुक पर लोगों की आईडी देखकर मिलते-जुलते पासवर्ड या 12345 डालकर ट्राई करते हैं। अगर पासवर्ड सही बैठ जाता है तो अकाउंट हैक करके ठगी शुरू कर दी जाती है।


नार्थ ईस्ट से खरीदते थे फर्जी सिम
साइबर अपराधियों का यह गैंग काफी शातिर तरीके से काम करता है। एसटीएफ को गैंग के सदस्यों ने जानकारी दी कि वह मोबाइल सिम पूर्वोत्तर के राज्यों से फर्जी पते पर खरीदते हैं। एक सिम 1 हजार रुपये में आसानी से मिल जाता है। इसके बाद इसी सिम से ऑनलाइन लेनदेन किया जाता है। यही नहीं, गूगल पे, पे फोन और पेटीएम जिस व्यक्ति का इस्तेमाल करते हैं उसको ठगी की रकम का 25 फीसदी देना होता है।