व्यक्ति को अंदर से तोड़ देते हैं ये 4 दुख, मुश्किलों से भर जाता है जीवन

आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में जीवन से जुड़े कई सवालों के जवाब दिए हैं। चाणक्य की नीतियों को अपना पाना मुश्किल है, हालांकि कहते हैं इन नीतियों को जिसने भी अपनाना उसे तरक्की से कोई नहीं रोक सका है। धन, तरक्की, दुख-सुख और वैवाहिक जीवन से जुड़ी तमाम बातों का जिक्र किया गया है। चाणक्य के अनुसार, हर व्यक्ति के जीवन में दुख-सुख आता रहता है, लेकिन जीवन में ऐसे कई मोड़ आते हैं, जो इंसान को अंदर से जलाकर राख कर देते हैं। जानिए ऐसी कुछ बातों के बारे में-
1. जीवनसाथी के साथ बिछड़न-

चाणक्य कहते हैं कि कोई भी व्यक्ति अपने साथी को छोड़ना नहीं चाहता है। ऐसे में साथी के साथ वियोग सहना मुश्किल होता है। पार्टनर की जुदाई इंसान को हर वक्त अंदर से परेशान करती रहती है। ऐसे में साथ के दूर होने या साथ छोड़ने पर व्यक्ति को भीतर तक आघात पहुंचता है।

2. कर्ज का बोझ-

चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति कर्ज के कारण अंदर ही अंदर दबा हुआ महसूस करता है। चाणक्य का मानना है कि व्यक्ति कर्ज लेने के बाद अपराध बोध में जीने लगता है। चाणक्य कहते हैं कि कर्ज के बोझ के कारण व्यक्ति अंदर ही अंदर टूटता रहता है।

3. अपनों से अपमान-

नीति शास्त्र में चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति अपनों से अपमान सहन नहीं कर पाता है। इससे व्यक्ति को मानसिक चोट पहुंचती है। चाणक्य कहते हैं कि अपनों के द्वारा अपमानित होने पर व्यक्ति अंदर से बिखर जाता है और फिर दोबारा सामना करने की हिम्मत नहीं जुटा पाता है।

4. गरीबी-


चाणक्य के अनुसार, धन की कमी हर व्यक्ति को दुख देती है। गरीबी दुख का कारण है। व्यक्ति आर्थिक परेशानियों के कारण अंदर से टूट जाता है। क्योंकि वह अपनी जररूतों को पूरा नहीं कर पाता है।