पश्चिम बंगाल के दुर्गापूजा में शी जिनपिंग जैसा महिषासुर राक्षस









देवी दुर्गा के द्वारा मारे गए लगभग अपराजेय हो चुके राक्षस महिषासुर को पिछले सालों में पश्चिम बंगाल के पूजा पंडालों में कई रूपों में दिखाया गया, लेकिन इस बार मुर्शिदाबाद जिले के बेरहमपोर कस्बे में महिषासुर को जो शक्ल दी गई है वह भू-राजनीतिक वजहों से सुर्खियों में है। यहां की तस्वीर खूब वायरल हो रही है, वजह यह है कि मूर्तिकार ने महिषासुर को जो शक्ल दी है, वह चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिलती-जुलती है। हालांकि, इस बार कोविड-19 की वजह से दुर्गा पूजा पंडालों में अन्य सालों की तरह भीड़ नहीं है, लेकिन स्वर्गोधाम सेबा समिति की ओर से आयोजित सामुदायिक पूजा में हलचल दूसरे पंडालों से अधिक है और यहां आने वाले लोगों की नजर मां दुर्गा के बाद सबसे अधिक महिषासुर पर टिकती है। उनका कहना है कि यह चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग जैसी शक्ल वाला है।


हिंदू शास्त्रों के मुताबिक देवी दुर्गा को शेर पर सवारी करते हुए इस तरह दिखाया गया है कि उन्होंने राक्षस महिषासुर का वध कर दिया है और उसका सिर देवी के चरणों में पड़ा हुआ है, जबकि वह दुर्गा के सामने घुटनों के बल झुका हुआ है। खगरा में सोनापट्टी मार्केट के नजदीक यह पंडाल सजा है। यहां 74 सालों से पूजा हो रही है और स्वर्गोधाम सेबा समिति अनोखे विचारों को लेकर चर्चित है।


यहां आने वाले श्रद्धालु सिरकटे राक्षस की तस्वीरें साझा कर रहे हैं। तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गई हैं। लोग इन तस्वीरों के साथ लद्दाख में भारत चीन तनाव और गलवान घाटी में हिंसक झड़प से जुड़े संदेश लिख रहे हैं। स्वर्गोधाम सेबा समिति की मूर्तियों को पहले आर्टिस्ट जामिनी पाल बनाया करते थे। उम उनके पोते आशिम पाल मूर्तियों को आकार देते हैं। हालांकि, आयोजकों का कहना है कि राक्षस और शी जिनपिंग के चेहरे में समानता एक संयोग मात्र है।


दूर्गा पूजा समिति के मुख्य सलाहकार नारूगोपाल मुखर्जी ने कहा, ''हम हमेशा देवी दुर्गा की मूर्ति परंपरागत तरीके से बनाते हैं। लेकिन कलाकार राक्षस को हर साल नया रूप देते हैं। पिछले सालों में मूर्तिकार ने महिषासुर को अफ्रीकी और ग्रीक आकार भी दिया था। इस बार मूर्तिकार ने मंगोलकल्प चेहरा बनाया है, हमारी कोई इच्छा चीन के राष्ट्रपति के अपमान की नहीं है।''