पहली बार एक डोले पर निकली शहर की सबसे बड़ी मां दुर्गा की शोभायात्रा

मेरठ। हर बार 60 से अधिक झांकियों के साथ गाजे-बाजे, ढोल, डीजे संग निकलने वाली शहर की सबसे बड़ी शोभायात्रा पर कोरोना का साया रहा। इस बार 99वां दुर्गा पूजा महोत्सव के तहत सोमवार को विसर्जन यात्रा निकाली गई। ट्रैक्टर ट्रॉली पर एक डोली में भव्य दरबार सजाकर माता को परिवार सहित विराजमान कर शोभायात्रा निकाली गई। फेसबुक लाइव के जरिए शोभायात्रा का ऑनलाइन प्रसारण किया गया।36 घंटे निकलने वाली शोभायात्रा, 3 घंटे में पहुंची पड़ाव पर


श्री कृष्ण मित्र सेवा समिति की ओर से शहर की सबसे बड़ी शोभायात्रा भाटवाड़ा से निकाली जाती है। भाटवाड़ा स्थित दुर्गा मंदिर से दोपहर में शुरू होने वाली यात्रा अगले दिन तक निकलती है। पूरे शहर से निकलने वाली शोभायात्रा नौचंदी से श्री दुर्गा मंदिर पहुंचकर संपन्न होती है। 36 घंटे से भी अधिक समय तक शोभायात्रा निकलती है। इस बार तीन घंटे में ही शोभायात्रा पड़ाव पर पहुंच गई।


सिर पर माता की मूर्ति रख निकलती थी शोभायात्रा


भाटवाड़ा में रहने वाले वयोवृद्ध लोगों का कहना है कि अंग्रेजी शासन काल से शोभायात्रा निकलती आ रही है। श्री कृष्ण मित्र सेवा समिति के प्रधान दीपक शर्मा ने बताया कि शुरुआत में सिर पर माता की मूर्ति रखकर शोभायात्रा निकाली जाती थी जिसका स्वरूप हर साल बड़ा होता गया। अब शोभायात्रा में भगवान श्रीगणेश, शिव परिवार, मां दुर्गा व उनके नौ स्वरूप, राधा कृष्ण, शनि भगवान, सूर्य भगवान, नवग्रह आदि के कुल मिलाकर 60 से भी अधिक झांकियां शामिल होती हैं। पिछले 70 साल से यह शहर की सबसे बड़ी शोभायात्रा में बदल गई।


कर्फ्यू में भी वैन में निकली यात्रा


1987 में मेरठ में जब कर्फ्यू लगा तो इस दौरान भी शोभायात्रा चलती रही। पुलिस अभिरक्षा में वैन में चंद लोगों की उपस्थिति में विसर्जन यात्रा निकाली गई। पुराने जानकार बताते हैं कि हर दौर में यात्रा निकलती रही। मुस्लिम बहुल इलाकों में भी क्षेत्रीय लोग सहयोग कर यात्रा निकलवाते थे।


5 रुपये से 12 लाख पहुंच गया यात्रा का बजट


भाटवाड़ा में रहने वाले बुजुर्ग बताते हैं कि शुरुआत में पांच रुपये से शोभायात्रा निकाली गई थी। लोगों ने चंदा कर यह रकम जुटाई थी। समिति से जुड़े विजय आनंद अग्रवाल बताते हैं कि बीते साल में यात्रा का बजट लाखों में पहुंच गया। पिछले साल 60 के करीब झांकियां शोभायात्रा में शामिल हुई थी और 12 लाख रुपये यात्रा का बजट था। हर साल यात्रा के लिए छापे जाने वाले पत्रक में दान का पूरा ब्योरा सार्वजनिक किया जाता है।


गाजियाबाद से मंगवाई गई मूर्तियां


हर बार मंदिर में कोलकाता से कारीगर आते थे और माता के नौ दिव्य स्वरूप के साथ विभिन्न मूर्तियां बनाई जाती हैं। महीनों मूर्तियां तैयार करने में लगते हैं। विजयदशमी के अगले दिन शहरभर से यात्रा निकालकर इनका विसर्जन किया जाता था। मंदिर समिति के प्रधान दीपक शर्मा ने बताया कि मां भगवती, मां काली, मां महालक्ष्मी, मां सरस्वती, भगवान गणेश, कार्तिकेय, भैरव व हनुमान जी की मूर्तियां गाजियाबाद में बनवाकर मंगवाई गई। गाजियाबाद में रहने वाले कोलकाता के कारीगर मूर्तियां तैयार की।


यहां से निकली विसर्जन यात्रा


प्रधान दीपक शर्मा ने बताया कि माता की विसर्जन शोभायात्रा भाटवाड़ा से शुरू होकर सुभाष बाजार, कोतवाली, गुदरी बाजार, बजाजा, सर्राफा, वेली बाजार, लाला का बाजार, शीशमहल, बाबा खाकी, वीरू कुआं, बुढ़ाना गेट, इंदिरा चौक, सूरजकुंड से होते हुए नौचंदी ग्राउंड स्थित दुर्गा मंदिर पर पहुंचकर संपन्न हुई।