क्या है ब्लू मून, 31 अक्टूबर को पहली बार होगा दुर्लभ चांद का दीदार


1 अक्टूबर यानी हैलोवीन के दिन आसमान में पहली बार ब्ल्यू मून नजर आएगा. इस खास पल के हम सब साक्षी बनने वाले हैं. कोरोना संकट ने 2020 में पूरी दुनिया को बुरा दौर दिखाया है. लेकिन 31 अक्टूबर को होने जा रही ये खगोलीय घटना आपको एक सुखद अनुभव दे सकती है. जानिए ब्लू मून आख‍िर क्या है. ब्लू मून एक असामान्य घटना है जो कि हर दो या तीन साल में देखने को मिलती है. लेकिन वर्ष 2020 में दिखने वाले इस नीले चंद्रमा को दोबारा देखने के लिए 2039 तक का इंतजार करना पड़ेगा. 'ब्लू मून' अर्थात 'नीला चांद' कहलाने वाला यह दुर्लभ नजारा लोगों के लिए काफी खास होगा.





नासा की ओर से मिली जानकारी के अनुसार अधिकांश ब्लू मून पीले और सफेद दिखते हैं, लेकिन ये चंद्रमा उन सभी से हटकर होगा जो अभी तक देखे गए हैं. कैलेंडर के महीने में बदलाव होने पर दूसरी पूर्णिमा के चंद्रमा के भौतिक गुणों (आकार प्रकार) में बदलाव नहीं होता है, इसलिए इसका रंग एक ही रहता है. 





नासा ने कहा कि वैसे कभी कभी नीला चांद दिखना सामान्य है. लेकिन इसके पीछे वजह अलग होती है. ये अक्सर वायुमंडलीय परिस्थितियों के चलते नीला नजर आता है. इसमें कैलेंडर का समय बदलने की वजह शामिल नहीं होती है. 






इसी तरह की घटना का एक प्रसिद्ध उदाहरण 1883 में सामने आया था. उस दौरान ज्वालामुखी क्राकोटा फट गया था. इससे ज्वालामुखी से निकलने वाली धूल हवा में घुल गई थी. इससे चंद्रमा नीला दिखाई देने लगा था. लेकिन ये खगोलीय घटना नहीं मानी जाएगी. वैसे भी ब्लू मून का अर्थ नीला चांद नहीं है. बल्क‍ि एक माह में दो पूर्ण‍िमा होने पर दूसरी पूर्ण‍िमा के फुल मून को ब्लू मून कहा जाता है. इस तरह की खगोलीय घटनाएं कई साल में एक बार होती हैं. 





ये ब्लू मून मासिक यानी कैलेंडर के आधार पर होगा. जब एक और 31 अक्टूबर, 2020 को पूर्णिमा होगी यानी इस दिन पूरा चांद दिखाई देगा. वैसे अक्टूबर के महीने में दो पूर्ण चंद्रमा निर्धारित हैं, लेकिन इसमें बाद का यानी 31 अक्टूबर का पूर्ण चंद्रमा


खगोल वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि अगर 31 अक्टूबर की रात आसमान साफ रहेगा तो इस रात कोई भी टेलीस्कोप की मदद से ब्लू मून देख सकता है. इस खगोलीय घटना का साक्षी बनने के लिए नेहरू तारामंडल सहित कई खगोल वैज्ञानिक बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. 







बता दें कि चंद्र मास की अवधि 29.531 दिनों अर्थात 29 दिन, 12 घंटे, 44 मिनट और 38 सेकेंड की होती है, इसलिए एक ही महीने में दो बार पूर्णिमा होने के लिए पहली पूर्णिमा उस महीने की पहली या दूसरी तारीख को होनी चाहिए. ये 31 अक्टूबर को होने जा रहा है, इसलिए ये खगोलीय घटना खास मानी जा रही है.