हाईकोर्ट ने छात्र को 11वीं कक्षा में दाखिला न देने पर दिल्ली सरकार से मांगा जवाब

निजी स्कूल से 10वीं कक्षा पढ़ाई करने वाले छात्र को सरकारी स्कूल में दाखिला नहीं दिए जाने पर उच्च न्यायालय ने मंगलवार को दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है। न्यायालय ने सर्वोदय विद्यालय में 11वीं कक्षा में दाखिले की मांग को लेकर छात्र की ओर से दाखिल याचिका पर यह आदेश दिया है। जस्टिस जयंत नाथ ने दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय को नोटिस जारी कर यह बताने के लिए कहा है कि याचिकाकर्ता छात्र शेख हबीबुल को सर्वोदय विद्यालय में दाखिला क्यों नहीं दिया गया।उन्होंने शिक्षा निदेशालय को मामले की अगली सुनवाई 4 नवंबर से पहले जवाब दाखिल करने को कहा है। न्यायालय ने हबीबुल की ओर से अधिवक्ता अशोक अग्रवाल द्वारा दाखिल याचिका पर यह आदेश दिया है। याचिका में उन्होंने पहली से 12 कक्षा तक के छात्रों को गैर नियोजित दाखिला देने को लेकर दिल्ली सरकार द्वारा जारी 2016 के आदेश को चुनौती दी गई है। उक्त के आदेश के तहत सरकार ने  सभी कक्षाओं में दाखिले के उम्र निर्धारित किया है।


अधिवक्ता अग्रवाल ने सितंबर, 2016 जारी सर्कुलर को संवैधानिक प्रावधानों, शिक्षा के अधिकार अधिनियम के खिलाफ बताते हुए रद्द करने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता ने शैक्षणिक सत्र 2019-20 में निजी स्कूल से 10वीं कक्षा की पढ़ाई पूरी की है और अब अपने घर के पास सर्वोदय विद्यालय, प्रल्हादपुर में 11 वीं कक्षा में दाखिला लेना चाहता है। इसके लिए आनलाइन आवेदन भी किया, लेकिन बिना किसी कारण बताए आवेदन को स्वीकार नहीं किया।


याचिका में कहा है कि छात्र ने स्कूल में जाकर भी दाखिले की मांग की, लेकिन प्रबंधन ने 2016 के सर्कुलर की आड़ में दाखिला देने से इनकर कर दिया क्योंकि छात्र की उम्र 18 साल छह माह है। जबकि सरकार द्वारा जारी सर्कुलर के हिसाब से 15 से कम और 17 साल से अधिक उम्र नहीं होना चाहएि। अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने इसे मनमाना और अनुचित बताते हुए उक्त सर्कुलर को रद्द करने और याचिकाकर्ता को दाखिला देने का आदेश देने की मांग की है।