दिलचस्प है टिकट मिलने तक की कहानी, एक कॉल और औरैया की गीता शाक्य को मिला राज्यसभा का टिकट

घोषणा से थोड़ी देर पहले तक भाजपा से राज्यसभा प्रत्याशी बनाई गईं गीता शाक्य को भनक तक नहीं थी कि उन्हें पार्टी प्रत्याशी बनाने वाली है। 26 अक्तूबर की दोपहर उनके मोबाइल पर भाजपा प्रदेश कार्यालय से एक कॉल आई और उनके राजनीतिक करियर के बारे में पूछा गया। वह उस समय अपने इंजीनियर बेटे के पास गाजियाबाद में थीं। रात 8 बजे फिर मोबाइल की घंटी बजी और कहा गया, आपको बधाई। पार्टी ने आपको राज्यसभा के लिए प्रत्याशी बनाया है। 27 अक्तूबर को सुबह दस बजे आपको पार्टी कार्यालय लखनऊ पहुंचना है।
गीता शाक्य औरैया की प्रथम शख्सियत होंगी जिन्हें देश की सबसे बड़ी पंचायत में जाने का मौका मिल रहा है। 11 नवंबर 1969 को औरैया में बिधूना तहसील के हमीरपुर छपोरा गांव में जन्मीं गीता ने इंटर तक की पढ़ाई बिधूना के पब्लिक इंटर कॉलेज से की। उनकी शादी इटावा में भर्थना तहसील के सिंहूआ रमपुरा गांव के रहने वाले किसान मुकुट सिंह के साथ हुई।
2000 में चुनी गईं प्रधान, बढ़ता गया कद
गीता ने समाजशास्त्र से परास्नातक किया। वर्ष 2000 में अपनी ससुराल सिंहूआ रमपुरा गांव से ही प्रधानी का चुनाव लड़ा और जीतीं। वह दो बार प्रधानी की कुर्सी पर बैठीं। इसी बीच उन्हें 2009 में बिधूना विधानसभा उपचुनाव के लिए सपा ने अपना प्रत्याशी बनाया, पर वह चुनाव हार गईं। कुछ महीनों बाद वह भाजपा में शामिल हो गईं। भाजपा ने उन्हें बिधूना से 2012 विधासभा चुनाव में उतारा, लेकिन वह सपा प्रत्याशी से फिर हार गईं। इसके बाद उन्हें 2013 में कानपुर प्रांत का क्षेत्रीय मंत्री बना दिया गया। कुशल वक्ता होने के चलते उन्हें प्रदेश मंत्री बनाया गया। सूबे में भाजपा सरकार बनने के बाद वह 2017 में औरैया की भाजपा की जिलाध्यक्ष बनाई गईं। वह काफी दिनों तक प्रदेश भाजपा की मंत्री भी रहीं।