भक्तों को भयमुक्त करती हैं मां कालरात्रि

पावन नवरात्र में सातवें दिन मां दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि की आराधना की जाती है। मां कालरात्रि दुखों का अंत करने वाली हैं। मां का स्मरण करने मात्र से पापों से मुक्ति मिलती है और नकारात्मक शक्तियों का नाश हो जाता है। मां कालरात्रि सदैव शुभ फल प्रदान करने वाली हैं। मां का एक नाम शुभंकारी भी है। मां कालरात्रि ने रक्तबीज का वध किया, इसी कारण माता पार्वती का यह स्वरूप मां कालरात्रि कहलाया। मां की कृपा से भक्त भयमुक्त हो जाते हैं। मां का निरंतर स्मरण, ध्यान और पूजा करते रहना चाहिए। नवरात्र में सप्तमी की रात्रि को ‘सिद्धियों’ की रात भी कहा जाता है। मां की उपासना से जीवन की हर समस्या को पलभर में हल करने की शक्ति प्राप्त होती है। मां कालरात्रि की उपासना से ब्रह्मांड की सारी सिद्धियों के दरवाजे खुलने लगते हैं। मां का ध्यान करने से मनुष्य पुण्य का भागी बनता है। मां की उपासना में मन, वचन, काया की पवित्रता रखनी चाहिए। मां कालरात्रि को गुड़ का भोग पसंद है। पूजा में मां को लाल पुष्प अवश्य अर्पित करें।