74वें स्वतंत्रता दिवस पर रोशनी से नहाई ऐतिहासिक व सरकारी इमारतें

74th Independence Day:



लखनऊ। स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राजधानी की ऐतिहासिक व सरकारी इमारतों को रोशनी से जगमगा दिया गया, मौका था 74वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या का। मुख्यमंत्री आवास, राज्यपाल भवन, फाइव केडी मार्ग, विधानसभा, जीपीओ, रेलवे स्टेशन, बड़ा व छोटा इमामबाड़ा, घंटाघर व कुडिय़ाघाट को तिरंगे की लाइट से सजाया गया था। 


हजरतगंज में मेट्रो स्टेशन से लेकर उत्तर रेलवे का मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय से लेकर एलआइसी कार्यालय और व्यापारियों की दुकानों में भी रौनक दिखी। यहां सुबह से ही पर्व जैसे माहौल रहा। आजादी का जश्न मनाने के लिए पर्यटन स्थलों को भी रोशनी से जगमगाया गया। 


ईदगाह ऐशबाग तिरंगे रंग की लाइटों से सजाने के साथ ही फसाद लाइटों का इस्तेमाल किया गया। ऐशबाग पुल से ही राम लीला मैदान व ईदगाह के पास स्वतंत्रता पर्व होने का अहसास यहां से गुजरने वालों को हो रहा था।


वहीं, पूर्वोत्तर रेलवे लखनऊ मंडल कार्यालय में रेल इंजन व चारबाग स्टेशन परिसर में लगे रेल इंजन को भी रोशनी से सजाया गया था। 





जीपीओ के साथ ही लखनऊ विकास प्राधिकरण की बिल्डिंग व लोहिया पार्क में भी रोशनी का इंतजाम किया गया। स्वतंत्रता दिवस के जश्न में जिलाधिकारी कार्यालय, हाईकोर्ट व यूपीएमआरसी कार्यालय को भी तिरंगों से सजाया गया। यूपीएमआरसी के प्रबंध निदेशक कुमार केशव ने बताया कि हर बार की तरह इस बार स्वतंत्रता दिवस के पर्व में भीड़भाड़ कोरोना के कारण नहीं की जाएगी। झंडारोहण कार्यक्रम सुबह नौ बजे रखा गया है।



 

वहीं, इस अवसर पर राजधानी का चारबाग रेलवे स्टेशन भी रोशन हो उठा। स्टेशन के एक-एक दीवार हो या स्तभ को लाइटिंग की मदद से रोशन किया गया। जगमगाता रेलवे स्टेशन देख यात्री भी खुश दिखाई दिए।


बता दें, चारबाग रेलवे स्टेशन भारत के सबसे खूबसूरत रेलवे स्टेशनों में से एक माना जाता है। वास्तव में यह एक रेलवे स्टेशन से कहीं अधिक है, इस इमारत नें एक शताब्दी के इतिहास के साथ साथ सुंदर भारत-ब्रिटिश वास्तुकला शैली के मिश्रण को अपने भीतर संजोया हुआ है। इस इमारत को जे.एच. हॉर्निमन द्वारा डिजाइन किया गया है। लाल और सफेद रंग में रंगी हुई यह शानदार रचना बाहर से राजपूतों के महल की तरह दिखती है। ऐसा कहा जाता है कि इस स्टेशन की वास्तुकला शैली इतनी आश्चर्यजनक है कि स्टेशन के बाहर खड़ा व्यक्ति आने वाली या जाने वाली ट्रेनों की आवाज़ सुनने में लगभग असमर्थ होता है।



 

लखनऊ की ऐतिहासिक इमारतों में शुमार बड़ा इमामबाड़ा को लोग भुलभुलैया के नाम से भी जानते हैं। स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर बड़ा इमामबाड़े को रंग बिरंगी लाइटों से सजाया गया। इसके तीन विशाल कक्ष हैं, जिसकी दीवारों के बीच लंबे गलियारे हैं, जो लगभग 20 फीट चौड़े हैं। यही घनी और गहरी संरचना भूलभुलैया कहलाती है।



इस स्वतंत्रता दिवस पर छोटा इमामबाड़ा को दुल्हन की तरह सजाया गया। तिरगें रूप में लाइटों से जगमगाया गया। बता दें, छोटा इमामबाड़ा हुसैनाबाद इमामबाड़ा के नाम से भी जाना जाता है। शहर में स्थित यह इमामबाड़ा मोहम्मद अली शाह की रचना है, जिसका निर्माण 1837 ई. में किया गया था। इसे छोटा इमामबाड़ा भी कहा जाता है। माना जाता है कि मोहम्मद अली शाह को यहीं दफनाया गया था। छोटे इमामबाड़े में ही मोहम्मद अली शाह की बेटी और दामाद का मकबरा भी बना हुआ है। मुख्य इमामबाड़े की चोटी पर सुनहरा गुम्बद है जिसे अली शाह और उसकी मां का मकबरा समझा जाता है। 



 

रूमी दरवाजा इमामबाड़े के बाहर पुराने लखनऊ का प्रवेश द्वार माना जाता है। यह लगभग 60 फीट उंचा है, जिसमें तीन मंजिल हैं। इस दरवाजे से आप नवाबों के शहर का भरपूर नजारा ले सकते हैं। यह दरवाजा लखनऊ की पहचान है।