बदनामी से बचने के लिए अब प्रवेश देने से पहले छात्रों का पुलिस वेरिफिकेशन करायेगा दारुल उलूम देवबंद

क्लू टाइम्स, सुरेन्द्र कुमार गुप्ता। 9837117141

बदनामी से बचने के लिए अब प्रवेश देने से पहले छात्रों का पुलिस वेरिफिकेशन करायेगा दारुल उलूम देवबंद

Prabhasakshi

हम आपको बता दें कि अभी एक दिन पहले ही सुरक्षा एजेंसियों ने दारुल उलूम देवबंद में छापा मारकर एक बांग्लादेशी छात्र को गिरफ्तार किया है। फर्जी कागजात की मदद से 2015 से दारुल उलूम में रह रहे बांग्लादेशी को गिरफ्तार कर एटीएस ने और भी खुलासे किये हैं।

हम आपको बता दें कि अभी एक दिन पहले ही सुरक्षा एजेंसियों ने दारुल उलूम देवबंद में छापा मारकर एक बांग्लादेशी छात्र को गिरफ्तार किया है। फर्जी कागजात की मदद से 2015 से दारुल उलूम में रह रहे बांग्लादेशी को गिरफ्तार कर एटीएस ने और भी खुलासे किये हैं। दारुल उलूम से गिरफ्तार यह छात्र पाकिस्तान में प्रशिक्षण प्राप्त कर चुका है। इसकी संदिग्ध गतिविधियों पर पुलिस प्रशासन की नजर बनी हुई थी और जब इसकी हरकतें बढ़ीं तो एटीएस की टीम सक्रिय हो गयी। सुरक्षा एजेंसियां इससे पूछताछ कर और राज उगलवाने की कोशिश में लगी हुई हैं।

उल्लेखनीय है कि दारुल उलूम देवबंद से अक्सर ऐसी खबरें आती हैं कि उसका कोई छात्र राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में संलिप्त पाये जाने पर गिरफ्तार किया गया है, इसीलिए अब मदरसा के कार्यवाहक कुलपति अब्दुल खालिक मद्रासी ने कहा है कि हम प्रवेश प्रक्रिया को और कठोर बनायेंगे क्योंकि अक्सर हमारा संस्थान आलोचनाओं के घेरे में आ जाता है। उन्होंने कहा कि लोग छात्रों के कुकर्मों के लिए संस्थान को जिम्मेवार ठहराते हैं जबकि हमारा कार्य सिर्फ शैक्षणिक गतिविधियों तक ही सीमित है। उन्होंने कहा कि इसीलिए हमने संस्थान की प्रतिष्ठा को बचाये रखने के लिए मदरसे में दाखिला लेने के इच्छुक छात्रों का पुलिस सत्यापन कराने का फैसला किया है।

दारुल उलूम के इस फैसले के बाद देवबंद के मुस्लिम धर्मगुरु और जमात दवात उल मुसलिमीन के मौलाना इशाक गोरा ने कहा कि यह बहुत अच्छा निर्णय है क्योंकि हमें बिना कारणों से साम्प्रदायिक ताकतों द्वारा पिछले कई वर्षों से निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पुलिस सत्यापन के बाद ही छात्रों का दाखिला होगा तो दारुल उलूम के नाम को बदनाम नहीं किया जा सकेगा। दारुल उलूम के शिक्षा विभाग के प्रमुख मौलाना हुसैन अहमद हरिद्वारी ने इस मुद्दे पर कहा है कि जो भी छात्र दाखिला लेना चाहते हैं हम उनके दस्तावेजों को खुफिया विभाग को सौंपेंगे यदि उन्होंने कुछ गड़बड़ी पाई तो आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जायेगी।

हम आपको बता दें कि देवबंद स्थित दारुल उलूम दुनियाभर में धर्म से संबंधित शिक्षा के लिए विख्यात है लेकिन यहां से पढ़ने वाले कुछ लोग आतंक की राह को अपना लेते हैं जिससे इस संस्थान पर सुरक्षा एजेंसियों की निगाह बनी रहती है। हालिया वर्षों की ही बात करें तो कम से कम 10 से ज्यादा ऐसे आतंकवादी पकड़े गये हैं जिन्होंने देवबंद से शिक्षा हासिल की थी। मार्च 2019 में यहां से एटीएस ने जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी शहनाज तेली और आकिब अहमद मलिक को गिरफ्तार किया था तो इस संस्थान की बड़ी बदनामी हुई थी। बताया गया था कि जैश के इन दोनों आतंकवादियों का पुलवामा हमला मामले से कनेक्शन था। यही कारण है कि देवबंद पर एनआईए और एटीएस की नजर बनी रहती है। उत्तर प्रदेश सरकार ने तो देवबंद में एटीएस केंद्र की स्थापना भी कर दी है ताकि इस क्षेत्र पर सघन नजर बनी रहे।

उल्लेखनीय है कि घनी मुस्लिम आबादी वाले देवबंद में दारुल उलूम के अलावा सौ से ज्यादा छोटे-बड़े मदरसे हैं। पाकिस्तानी आतंकवादी संगठनों जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा, हिज्बुल मुजाहिदीन और इंडियन मुजाहिदीन आदि के स्लीपर सेल इस इलाके में माने जाते थे लेकिन पिछले कुछ वर्षों में आतंकवाद के खिलाफ बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करने की नीति के चलते आतंकवादियों, स्लीपर सेलों के सदस्यों और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए काम करने वालों की कमर पूरी तरह टूट चुकी है। फिर भी फर्जी तरीकों से दारुल उलूम में प्रवेश पाकर शिक्षा हासिल करने की आड़ में भारत विरोधी काम किये जा रहे थे लेकिन अब संस्थान का यह फैसला ऐसे लोगों के मंसूबों को विफल कर देगा।