

वैसे तो चित्रा रामकृष्ण से भी बड़ी-बड़ी घपलेबाज महिलाएं हैं, लेकिन ये मामला लेटेस्ट है तो सबसे पहले एनएसई की पूर्व सीईओ चित्रा रामकृष्ण की ही बात करते हैं। उन्होंने करीब 4 लाख करोड़ रुपये के मार्केट कैप वाले एक्सचेंज को यूं चलाया मानो वो कोई प्राइवेट क्लब हो। मनमाने तरीके से आनंद सुब्रमण्यम की नियुक्ति की, उन्हें इतनी मोटी सैलरी दी जो लोगों की कल्पनाओं से भी परे थी। इसे को-लोकेशन स्कैम कहा जा रहा है, जिसके तहत कुछ सीक्रेट जानकारियां कुछ लोगों या ब्रोकर्स को समय से पहले दिए जाने का आरोप है, जिससे उन लोगों ने करोड़ों का मुनाफा कमाया होगा। सेबी ने इत्मिनाम से मामले की जांच के बाद रिपोर्ट दी है, जिसमें चित्रा रामकृष्ण पर तमाम आरोप हैं, तो इन बातों को महज अफवाह भी नहीं कहा जा सकता।
चित्रा की कहानी किसी फिल्मी ड्रामे से कम नहीं

2- एलिजाबेथ होम्स की खून चेक करने वाली मशीन

स्टीव जॉब्स से होती थी तुलना, लेकिन किया 68 हजार करोड़ का फ्रॉड

3- रुजा इग्नातोवा के दिमाग की उपज था 'वन कॉइन' फ्रॉड

35000 करोड़ का स्कैम

4- चंदा कोचर अर्श से पहुंचीं फर्श पर

क्या था मामला, जिसमें फंसीं चंदा कोचर?

इस कहानी की शुरुआत होती है 2012 से, जब वह आईसीआईसीआई बैंक की सीईओ थीं। उसी दौरान वीडियोकॉन ग्रुप को 3250 करोड़ रुपये का लोन दिया था। इस लोन के करीब 6 महीनों बाद चंदा कोचर के पति दीपक कोचर ने NuPower Renewables Pvt Ltd (NRPL) नाम की एक कंपनी बनाई, जिसे वीडियोकॉन ग्रुप के प्रमोटर वेणुगोपाल धूत ने करोड़ों रुपये ट्रांसफर किए थे। इसके बाद जब मामला खुला तो ED ने चंदा कोचर, उनके पति दीपक कोचर और वीडियोकॉन के मुखिया वेणुगोपाल धूत और कुछ अन्य लोगों के खिलाफ बैंक लोन में धोखाधड़ी और PMLA के तहत केस दर्ज किया। वहीं यह भी पाया गया कि चंदा कोचर ने बैंक की आचार संहिता का उल्लंघन कर वीडियोकॉन को कर्ज दिया, जिसका एक हिस्सा उस कंपनी को मिला।
एबीजी शिपयार्ड घोटाले में भी फंस सकती हैं चंदा कोचर!
